बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आखिरकार जीतन राम मांझी की एनडीए में वापसी होने जा रही है. 3 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी एनडीए का औपचारिक रूप से हिस्सा बनेंगे. इससे पहले जीतन राम मांझी बिहार महागठबंधन का हिस्सा थे, जिससे उन्होंने अलग होने का ऐलान कर दिया था.
‘हम’ के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने बताया, “3 सितंबर को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा RJD का हिस्सा बनेगी, इसकी घोषणा जीतन राम मांझी खुद करेंगें।” ‘हम’ इससे पहले भी RJD के साथ थी, लेकिन बाद में राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बन गई थी।
दानिश रिजवान ने कहा कि विकास के लिए हम RJD का हिस्सा बनने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीट हमारे लिए कोई मुद्दा नहीं है। हम विकास के मुद्दे पर RJD के साथ जा रहे हैं। उन्होंने ‘हम’ के किसी भी पार्टी में विलय के प्रश्नों को भी पूरी तरह से नकार दिया।
बिहार में जीतन राम मांझी (फाइल तस्वीर) की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) कल NDA में शामिल होंगे। pic.twitter.com/krlzY51pPz
— NewsMobile Samachar (@NewsMobileHindi) September 2, 2020
मांझी ने इससे पहले 27 अगस्त को मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई। नीतीश से मुलाकात के बाद मांझी ने अपने पत्ते नहीं खोले थे, लेकिन इतना तय माना जा रहा था कि ‘हम’ अब RJD में शामिल होगी।
इस बीच, मांझी ने ‘हम’ को RJD के साथ शामिल करने का फैसला ले लिया।
इससे पहले मांझी नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में थे, 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफो देकर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन बाद में दोनों के बीच रिश्ते में तल्खी की वजह से उन्हें पद से हटा दिया गया। इसके बाद मांझी ने अलग पार्टी बना ली।
उल्लेखनीय है कि राजद, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और ‘हम’ के गठबंधन में मांझी लगातार समन्वय समिति बनाने की मांग करते रहे थे।
मांझी ने चेतावनी दी थी अगर समिति बनाने को लेकर जल्द कोई फैसला नहीं लिया गया तो वे महागठंधन छोड़कर अलग रास्ता चुन सकते हैं। इसके बाद मांझी ने महागठबंधन को छोड़ने की घोषणा कर दी।
गौरतलब है कि मांझी 2018 में RJD को छोडकर महागठबंधन में शामिल हुए थे।
6 सितंबर को चिराग पासवान की भी बैठक
दूसरी तरफ 6 सितंबर को चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई है. इसमें चुनाव और सीटों पर बड़ा फैसला हो सकता है.