शादी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब SC को शादी रद्द करने का अधिकार, तलाक के लिए 6 महीने का समय अब जरुरी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी सोमवार को शादी को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। यहाँ सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि शादी अगर टूटने की कगार पर है तो कोर्ट वह अपनी तरफ से तलाक का आदेश दे सकती है। उन्होंने कहा कि अदालत संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्ति का इस्तेमाल कर यह आदेश दे सकती है।
इसके साथ ही पीठ ने कहा कि जब शादी को जारी रखना असंभव हो, तब सुप्रीम कोर्ट सीधे भी तलाक का आदेश दे सकता है। पीठ ने बताया कि आपसी सहमति से तलाक के मामलों में अब अनिवार्य 6 महीने के इंतजार का कानूनी प्रावधान भी लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने विस्तृत फैसले में उन स्थितियों का भी ज़िक्र किया है, जब वह तलाक के मामलों में दखल दे सकता है। साथ ही, गुजारा भत्ता और बच्चों की परवरिश को लेकर भी चर्चा की है।
गौरतलब है कि हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 13-B में इस बात का प्रावधान है कि अगर पति-पत्नी आपसी सहमति से तलाक के लिए फैमिली कोर्ट को आवेदन दे सकते हैं। लेकिन फैमिली कोर्ट में मुकदमों की अधिक संख्या के चलते जज के सामने आवेदन सुनवाई के लिए आने में समय लग जाता है. इसके बाद तलाक का पहला मोशन जारी होता है, लेकिन दूसरा मोशन यानी तलाक की औपचारिक डिक्री हासिल करने के लिए 6 महीने के इंतजार करना होता है।