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दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया को 20 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया

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नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 20 मार्च तक के लिए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. उन्हें पहले सीबीआई मुख्यालय से राउज एवेन्यू कोर्ट ले जाया गया था.

 

उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से संबंधित एक मामले में जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किया गया था.

 

AAP पक्ष के वकील सोमनाथ भारती ने कहा, CBI ने यह मान लिया है कि मनीष सिसोदिया के पास कुछ है नहीं. प्रक्रिया के तहत 10 मार्च को जमानत आवेदन पर सुनवाई है, मनीष सिसोदिया को न्यायिक हिरासत में 20 मार्च तक रखा जाएगा. मनीष जी ने कोर्ट में जो मांगे रखी थी उन्हें मान लिया गया है.

 

उन्होंने आगे कहा, विपश्यना सेल की उनकी मांग को न्यायालय द्वारा मंजूर किया गया और भागवत गीता, डायरी पेन व चश्मे की मांग की गई थी उसे भी माना गया है. आज कोर्ट के अंदर एक अजीब से स्थिति बनी थी जिसमें CBI के वकील ने कहा करते आप हैं और बदनामी हमारी हो रही है.

 

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CBI द्वारा गिरफ्तारी के बाद, मनीष सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. इस बीच, 4 मार्च को राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में सिसोदिया की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) रिमांड बढ़ा दी. विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने मनीष सिसोदिया की सीबीआई को दो दिन की और रिमांड मंजूर की.

 

अदालत ने 51 वर्षीय सिसोदिया द्वारा दायर जमानत पर सीबीआई को नोटिस भी जारी किया और मामले को 10 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया.

 

सिसोदिया की और रिमांड मांगते हुए, सीबीआई के वकील ने कहा था, “वह अभी भी असहयोगी है और हमें दो व्यक्तियों के साथ उसका सामना करने के लिए उसकी और हिरासत की आवश्यकता है.” “उनके मेडिकल में बहुत समय चला गया. एक पूरा दिन सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में चला गया, जिसे खारिज कर दिया गया था, “सीबीआई ने अदालत को बताया था.

 

सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया ने खुद कोर्ट में कहा कि सीबीआई के अधिकारी मेरी देखभाल कर रहे हैं, मेरे साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार कर रहे हैं और सब कुछ दे रहे हैं और किसी थर्ड डिग्री का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “लेकिन वे मुझे रोजाना 9-10 घंटे बिठा रहे हैं और वही सवाल बार-बार पूछ रहे हैं.. यह मानसिक प्रताड़ना से कम नहीं है.” इस पर कोर्ट ने सीबीआई को बार-बार सवाल नहीं पूछने का निर्देश दिया.