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जम्मू-कश्मीर में कथित आतंकी संबंधों के आरोप में तीन सरकारी अधिकारी बर्खास्त

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर सरकार ने कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के साथ काम करने के आरोप में तीन राज्य कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. सूत्रों ने एएनआई को बताया है कि ये अधिकारी कथित तौर पर आतंकवादियों को रसद मुहैया कराने और आतंकी वित्त जुटाने और अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने में इन संगठनों की मदद करते पाए गए हैं.

 

सरकार ने तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने के लिए भारत के संविधान की धारा 311 (2) (सी) का इस्तेमाल किया है – जिनकी पहचान कश्मीर विश्वविद्यालय के पीआरओ फहीम असलम, एक पुलिस कांस्टेबल अर्शीद अहमद थोकर और एक राजस्व अधिकारी मुरावथ हुसैन मीर के रूप में की गई है.

 

एएनआई के सूत्रों का कहना है कि जांच से स्पष्ट रूप से पता चला है कि वे कथित तौर पर पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और आतंकी संगठनों की ओर से काम कर रहे थे. आरोपियों में से एक, फहीम असलम, जो कश्मीर विश्वविद्यालय में जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कार्यरत था, के बारे में कहा जाता है कि वह कथित तौर पर पाकिस्तान आईएसआई से प्राप्त प्रारंभिक धन के साथ वैध व्यवसाय में उतरने से पहले आतंकवादी शब्बीर शाह का सहयोगी था.

 

आरोपी प्रमुख समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर भी लिख रहा था.

 

एएनआई के सूत्रों का कहना है कि लेखों की सामग्री में इरादे के बारे में कोई संदेह नहीं है- जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवाद को वैध बनाना और भारतीय संघ से जम्मू-कश्मीर के अलगाव का समर्थन करना. सूत्रों का कहना है कि दूसरा आरोपी अर्शीद अहमद थोकर 2006 में जम्मू-कश्मीर पुलिस में सशस्त्र पुलिस में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुआ था.

 

वह पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के ओवर ग्राउंड वर्कर्स के संपर्क में आया जिसके बाद आरोपी आतंकवादी संगठन के लिए एक माध्यम और कथित रसद समर्थक बन गया. तीसरा आरोपी मुरावथ हुसैन मीर राजस्व विभाग में कार्यरत था. जांच टीम के सूत्रों का कहना है कि वह अलगाववादी मिथकों का एक कट्टर समर्थक था, और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) और जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) जैसे कई प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के लिए एक कथित सूत्रधार था.