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कुलभूषण जाधव मामले में आईसीजे का फैसला आज, विश्व सामाजिक न्याय दिवस पर जाधव मामले को लेकर भारत सकारात्मक

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लंबे इंतजार के बाद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में मौत की सजा पर अपना फैसला सुनाएगा. बताया जा रहा है कि ये फैसला स्थानीय समयानुसार 3 बजे और भारतीय समयानुसार शाम 6.30 बजे आएगा.

इस मामले में भारत अपने पक्ष में फैसले की उम्मीद कर रहा है.

बता दें कि पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में जाधव को फांसी की सजा सुनाई है जिसके खिलाफ भारत अंतरराष्ट्रीय कोर्ट गया है. मामले की सुनवाई करते हुए आईसीजे ने मई 2017 में जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगा दी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

पिछले हफ्ते, पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मुहम्मद फैसल ने कहा था कि जबकि उनका देश विश्व अदालत के फैसले की भविष्यवाणी नहीं कर सकता है, लेकिन हमने इस मामले को अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमताओं के साथ लड़ा है.

पाकिस्तान का दावा है कि ईरान से पाकिस्तान में घुसने के बाद उसके सुरक्षा बलों ने जाधव को 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था. जबकि, भारत का कहना है कि उन्हें ईरान से अगवा किया गया था, जहां वे नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद व्यापार को लेकर वहां गए थे.

पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने देश में जासूसी करने एवं आतंकवाद फैलाने के आरोप में अप्रैल 2017 में जाधव को फांसी की सजा सुनाई. वहीं, आईसीजे ने पाकिस्तान से कहा कि उसका फैसला आने तक जाधव को दी गई फांसी की सजा को वह स्थगित रखे.

बता दें कि भारत ने इस मामले में विएना संधि एवं कानूनी प्रक्रिया के उल्लंघन को आधार बनाकर आईसीजे में केस दायर किया है.

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मामले में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील हरीश साल्वे ने पाकिस्तान की कुख्यात सैन्य अदालतों के कामकाज पर सवाल उठाया और आईसीजे से जाधव को मिली मौत की सजा को रद्द करने का आग्रह किया.

दिसंबर 2017 में जाधव की मां और पत्नी ने पाकिस्तान का दौरा किया लेकिन पाकिस्तान ने उनकी मां एवं पत्नी के साथ बदसलूकी की. यहां तक कि उसने जाधव से मुलाकात के दौरान उनकी पत्नी को मंगलसूत्र और चूड़ियां पहनने की इजाजत नहीं दी.

इस मुलाकात के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि जाधव की मां एवं पत्नी को मुलाकात से पहले दूसरे कपड़े पहनने के लिए बाध्य किया गया और उन्हें मातृ भाषा में बात करने की इजाजत नहीं दी गई.