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कच्चातिवु मुद्दे पर विदेश मंत्री और भाजपा नेता डॉ. एस जयशंकर ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस, कहा- ‘कांग्रेस और DMK ने इसे इस तरह से लिया है कि मानो उनकी कोई…’

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कच्चातिवु मुद्दे पर विदेश मंत्री और भाजपा नेता डॉ. एस जयशंकर ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस, कहा- ‘कांग्रेस और DMK ने इसे इस तरह से लिया है कि मानो उनकी कोई…’

 

दिल्ली में विदेश मंत्री और भाजपा नेता डॉ. एस जयशंकर ने बीजेपी पार्टी मुख्यालय में कच्चातिवु मुद्दे पर प्रेसवार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि .”1974 में, भारत और श्रीलंका ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जहां उन्होंने एक समुद्री सीमा खींची, और समुद्री सीमा खींचने में कच्चातिवु को सीमा के श्रीलंकाई पक्ष पर रखा गया। ”

 

विदेश मंत्री और भाजपा नेता डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “…कांग्रेस और DMK ने इस मामले को इस तरह से लिया है मानो इस पर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है।” उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि यह किसने किया, यह नहीं पता कि इसे किसने छुपाया… हमारा मानना है कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई।

कच्चातिवु मुद्दे पर विदेश मंत्री और भाजपा नेता डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “पिछले 20 वर्षों में, 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका द्वारा हिरासत में लिया गया है और इसी समयकाल में 1175 भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं को श्रीलंका द्वारा जब्त किया गया है… पिछले पांच वर्षों में कच्चातिवु मुद्दा और मछुआरे का मुद्दा संसद में विभिन्न दलों द्वारा बार-बार उठाया गया है। यह संसद के सवालों, बहसों और सलाहकार समिति में सामने आया है। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मुझे कई बार पत्र लिखा है और मेरा रिकॉर्ड बताता है कि मौजूदा मुख्यमंत्री को मैं इस मुद्दे पर 21 बार जवाब दे चुका हूं… यह एक जीवंत मुद्दा है जिस पर संसद और तमिलनाडु हलकों में बहुत बहस हुई है। यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच पत्राचार का विषय रहा है… ”

भाजपा नेता डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “सत्य यह है कि आज हम वास्तव में न केवल यह जानते हैं कि यह किसने किया और किसने इसे छुपाया बल्कि यह भी जानते हैं कि 1974 के कच्चातिवु समझौते के लिए जिम्मेदार पार्टियां कौन थी और 1976 में मछुआरों का अधिकार कैसे समाप्त किया गया… आप सभी जानते हैं कि कौन जिम्मेदार है। आज जनता के लिए यह जानना ज़रूरी है, जनता के लिए निर्णय करना ज़रूरी है। यह मुद्दा वास्तव में जनता से बहुत लंबे समय तक छिपाया गया है…”

क्या है कच्चातिवु द्वीप मामला? 

कच्चातिवु द्वीप हिंद महासागर में भारत के दक्षिण छोर पर है। 285 एकड़ में फैला यह द्वीप भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच में बना हुआ है। 17वीं शताब्दी में यह द्वीप मदुरई के राजा रामानंद के अधीन था। अंग्रेजों के शासनकाल में कच्चातिवु द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी के पास आया। उस दौर में यह द्वीप मछलीपालन के लिए अहम स्थान रखता था। यही वजह थी कि भारत और श्रीलंका दोनों मछली पकड़ने के लिए इस द्वीप पर अपना-अपना दावा करते थे। आजादी के बाद समुंद्र की सीमा को लेकर 1974-76 के बीच 4 समझौते किए गए थे। समझौते के तहत भारतीय मछुआरों को द्वीप पर आराम करने और जाल सुखाने में इजाजत दी गई और यह द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया। बता दें कि यह द्वीप भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच में बना हुआ है।