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क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की 115वीं जयंती आज, जानिए उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

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क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की 115वीं जयंती आज, जानिए उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

 

आज 28 सितंबर को देश, आजादी के मतवाले शहीद भगत सिंह की जयंती मना रहा है। गुलामी के उस दौर में देश की अंग्रजी हुकूमत के आसमान में भी सुराख कर देने वाले भारत माँ के सपूत शहीद भगत सिंह का आज 115 वां जन्म दिन है। देश को आजादी दिलाने के लिए भगत सिंह ने अंग्रेजों की सत्ता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। जिसके चलते 23 साल की उम्र में फांसी पर लटका दिया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की जयंती पर उन्हें याद किया किया। पीएम मोदी ने ट्वीट में कहा कि, ‘‘शहीद भगत सिंह की जयंती पर मैं उन्हें नमन करता हूं। उनका साहस हमें बहुत प्रेरित करता है। देश के लिए उनके दृष्टिकोण को हम साकार करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।’’

शहीद भगत सिंह से जुड़ी कुछ रोचक बातें 

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था। यह स्थान अब पाकिस्तान का हिस्सा है। उनके अंदर क्रांतिकारी होने के लक्षण 14 वर्ष की उम्र से ही दिखने लगे थे। 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह को अंदर से झकझोर दिया।

  • भगत सिंह ने लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर 1920 में महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन में शामिल हो गए।
  • जब उनके माता-पिता ने उनकी शादी करने की कोशिश की तो वह अपने घर से भाग गए। उन्‍होंने अपने माता-पिता से कहा कि अगर उन्होंने गुलाम भारत में शादी की, तो उनकी दुल्हन केवल मौत होगी। इसके बाद वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए।
  • अंग्रेजों को अपनी मांगों के बारे में बताने के लिए व पूरे देश में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने के लिए भगत सिंह ने 8 अप्रैल को सेंट्रल असेंबली में बम धमाका किया।
  • उन्होंने अपने साथी सुखदेव के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई और लाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को मारने की साजिश रची। हालांकि, उन्‍होंने उनकी जगह असिस्‍टेंट पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी।
  • भगत सिंह जेल से ही हिंदी, पंजाबी, उर्दू, बंग्ला और अंग्रेजी में लेख लिखकर अपने विचार व्यक्त किए और देशभर में अपना संदेश पहुंचा कर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा जारी रखा।
  • वह जन्म से एक सिख थे, मगर अपनी पहचान छुपाने और गिरफ्तार होने से बचने के लिए उन्होंने अपनी दाढ़ी मुंडवा ली और अपने बाल काट लिए. वह लाहौर से कलकत्ता भागने में सफल रहे।
  • भगत सिंह और उनके साथियों को 07 अक्टूबर 1930 को मौत की सजा सुनाई गई। लेकिन भारतीयों के आक्रोश चलते तय समय से एक दिन पहले ही उन्हें 23 मार्च 1931 को शाम साढ़े सात बजे फांसी दे दी गई।
  • बताया जाता है जब भगत सिंह को फांसी दी जा रही थी, तो भी उनके चेहरे पर मुस्कान और गर्व था।