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हाथरस कांड: कौन हैं ‘भोले बाबा’, जिनके सत्संग में मची भगदड़ से 100 से अधिक लोगों की हुई मौत?

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हाथरस कांड: कौन हैं ‘भोले बाबा’, जिनके सत्संग में मची भगदड़ से 100 से अधिक लोगों की हुई मौत?

उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद के फुलरई गांव में आयोजित एक धर्मिक सत्संग में बड़ा हादसा हो गया। यहाँ नारायण साकार हरि उर्फ़ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में करीब 121 से अधिक लोगों की मौत हो गयी। मरने वालों में ज्‍यादातर महिलाएं और बच्‍चे शामिल हैं। आईये जानतें हैं कौन हैं भोले बाबा-

कौन हैं भोले बाबा- 

संत भोले बाबा मूल रूप से कांशीराम नगर (कासगंज) में पटियाली गांव के रहने वाले हैं। बाबा उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे, लेकिन 18 साल की नौकरी के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया। पटियाली तहसील क्षेत्र के ग्राम बहादुर नगर निवासी सूरज पाल ने पैतृक गांव में एक हेक्टेयर से अधिक भूमि पर आश्रम की स्थापना वर्ष 1992 में की। पटियाली-सिढ़पुरा मार्ग स्थित मार्ग पर आश्रम का मुख्य गेट है। आश्रम की स्थापना के साथ इनका नाम साकार विश्व हरि (भोले बाबा) हो गया। बाबा उत्तर प्रदेश के अलावा आसपास के राज्यों में घूम कर लोगों को भगवान की भक्ति का पाठ पढ़ाते हैं।

सिपाही से साकार बाबा बने एसपी सिंह का वैभव उनके व्हाइट हाउस में देखने को मिलता है। एक हेक्टेयर क्षेत्र में बने इस परिसर में आवास के साथ आश्रम भी संचालित है। इसे किलेनुमा अंदाज में बनाया गया है। बाहरी दीवारें सफेद रंग में हैं तथा ऊंचाई इतनी है कि बाहर से कोई झांक भी न सके।

विश्व हरि भोले बाबा को अनुयायी भोले बाबा के नाम से पुकारते हैं। इनका विवादों से पुराना नाता रहा है। भोले बाबा के अनुयायी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में हैं।

शुरुआत में आश्रम परिसर में निर्माण कम था और खुली भूमि अधिक थी। धीरे-धीरे इस परिसर में अन्य भवनों का निर्माण होता रहा। जानकार बताते हैं कि अब परिसर में विशाल रसोई गृह है। जिसमें हर माह के प्रथम मंगलवार को होने वाले विशाल सत्संग के दौरान भोजन तथा प्रसाद बनता है। सैकड़ों सेवादार इसमें सहयोग करते हैं। वहीं सत्संग भवन के साथ अतिथि गृह का भी निर्माण हो चुका है। गद्दी भवन भी बनाया गया है।