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फैक्ट चेक: कतार में खड़े लोगों को गोली मारे जाने का यह वीडियो है सालों पुराना, जानें पूरा सच

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फैक्ट चेक: कतार में खड़े लोगों को गोली मारे जाने का यह वीडियो है सालों पुराना, जानें पूरा सच

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से शेयर हो रहा है, जिसमें सेना जैसे दिखने वाले जवानों को सामने कतार में खड़े कुछ निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाते हुए देखा जा सकता है। इसी वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर कर दावा किया जा रहा है कि सेना के जवानों जैसे दिखने वाले पाकिस्तानी आर्मी के जवान हैं वहीं उनकी गोली खाने वाले युवक बलोचिस्तान के आम नागरिक हैं, जिन्हें पाकिस्तानी आर्मी ने बिना किसी बात के गोलियों से भून दिया।

इसी वायरल वीडियो को फेसबुक पर हालिया दिनों में शेयर कर हिंदी भाषा के कैप्शन में लिखा गया है कि ‘वीडियो पाकिस्तान का बताया जा रहा है जहां पाकिस्तान की आर्मी ने निहत्थे बलोचिस्तानियो को एक लाइन में खड़ा कर के गोलियों से भून दिया, पूरा विश्व चुप है, ये है इस्लामिक इकोसिस्टम की ताकत, इस अमानवीय कृत्य के लिये पाकिस्तान क़ो मुँह तोड़ जवाब देना चाहिये सभी देशों क़ो’

फेसबुक के वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें।

 

फैक्ट चेक: 

न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल वीडियो हालिया दिनों का नहीं है।

वायरल वीडियो हमें देखने में कुछ पुराना लगा इसलिए इसकी सच्चाई जानने के लिए हमने पड़ताल की। जिसके बाद हमने सबसे पहले वायरल वीडियो को कुछ कीफ्रेम्स में तोड़ा और फिर गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च टूल के माध्यम से खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें वायरल वीडियो channel4.com नामक वेबसाइट पर सितंबर 30, 2010 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में वायरल वीडियो से मेल खाता एक कीफ्रेम मिला।

उपरोक्त प्राप्त लेख में दी गयी जानकारी के मुताबिक वायरल वीडियो कब और कहा का इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है। लेकिन वायरल वीडियो को उत्तरी पाकिस्तान के स्वात घाटी क्षेत्र का बताया जा रहा है। हालांकि लेख में इस तथ्य की भी पुष्टि नहीं की गयी है। लेख के मुताबिक पाकिस्तान आर्मी ने वायरल वीडियो के पाकिस्तानी आर्मी से जुड़े होने के दावों को गलत बताया था। उक्त लेख से यह साफ़ हो गया था कि वायरल वीडियो हालिया दिनों का नहीं है बल्कि साल 2010 के दौरान से ही इंटरनेट पर मौजूद है।

वायरल वीडियो की सटीक जानकारी के लिए हमने गूगल पर बारीकी से खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें वायरल वीडियो Aljazeera की वेबसाइट पर सितंबर 30, 2010 को प्रकाशित एक लेख में मिला। लेख के मुताबिक पाकिस्तानी आर्मी ने इस वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए वायरल वीडियो को फेक बताया था।

 

Aljazeera के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर वायरल वीडियो को अक्टूबर 01, 2010 को अपलोड किया गया था।

 

पड़ताल के दौरान हमें वायरल के संबंध में The New York Times की रिपोर्ट मिली, जिसे सितंबर 29, 2010 को छापा गया था। रिपोर्ट में तत्कालीन पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास के वायरल वीडियो पर दिए गए बयान का उल्लेख किया गया है। तत्कालीन पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास ने वीडियो को पाकिस्तानी सेना को बदनाम करने के लिए जिहादियों के दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा बताकर खारिज कर दिया। “पाकिस्तानी सेना का कोई भी सैनिक या अधिकारी इस प्रकार की गतिविधि में शामिल नहीं रहा है।”

पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से हमने जाना कि वायरल वीडियो हालिया दिनों का नहीं बल्कि सालों पुराना है। हालांकि, हम सवतंत्र रूप से यह नहीं पता लगा पाए कि वायरल वीडियो कब और कहां का है। लेकिन उपरोक्त मिले तथ्यों से यह साफ़ है कि वायरल वीडियो हालिया दिनों का नहीं बल्कि 14 साल पहले साल 2010 के दौरान का है।