सर्वोच्च न्यायालय ने 23 मई को 17 वें लोकसभा चुनावों की मतगणना के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के साथ मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के 100 प्रतिशत मिलान की मांग वाली जनहित याचिका मंगलवार को खारिज कर दी.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एमआर शाह की अध्यक्षता वाली एक अवकाश पीठ ने चेन्नई स्थित संगठन ‘टेक फॉर ऑल’ द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक बड़ी पीठ पहले ही मामले से निपट चुकी है और एक आदेश पारित कर चुकी है.
Supreme Court dismisses the petition filed by a group of technocrats seeking a direction that the number of machines subject to verification of VVPATs to be increased to 100%. A vacation bench of the Apex Court did not find any merit in the petition filed by the technocrats. pic.twitter.com/TEVcHf3VbL
— ANI (@ANI) May 21, 2019
शीर्ष अदालत ने पूछा,”सीजेआई ने इस मामले से निपटा था। आप दो-न्यायाधीशों की अवकाश पीठ के समक्ष मौका क्यों ले रहे हैं.”
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7 मई को, शीर्ष अदालत ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी नेताओं द्वारा दायर एक पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि ईवीएम के साथ वीवीपीएटी पर्चियों का यादृच्छिक मिलान 50 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए.
शीर्ष अदालत ने 8 अप्रैल को चुनाव आयोग को लोकसभा चुनावों में प्रति विधानसभा क्षेत्र के एक से पांच मतदान केंद्रों पर ईवीएम के साथ वीवीपीएटी पर्चियों के यादृच्छिक मिलान को बढ़ाने का निर्देश देते हुए कहा था कि यह न केवल राजनीतिक दलों को, बल्कि सभी मदताओं को भी संतुष्टि प्रदान करेगा.