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सुप्रीम कोर्ट ने राफेल समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई 10 मई तक के लिए की स्थगित

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राफेल सौदे में 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई 10 मई तक के लिए स्थगित कर दी है.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में त्रुटि के कारण स्थगित की, जिसमे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना ​​याचिका सूचीबद्ध थी. गांधी द्वारा ‘चौकीदार चोर है’ टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिस्सा बताया था, जिसके बाद उनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गयी थी.

पीठ ने आश्चर्य व्यक्त किया कि समीक्षा की दलीलों और अवमानना ​​याचिका को अलग-अलग तारीखों में अलग-अलग सूचीबद्ध पाया गया, जबकि पहले आदेश दिया गया था कि दोनों पर सुनवाई एक साथ की जाएगी.

शीर्ष अदालत ने 10 अप्रैल को कहा था कि वह ’लीक’ राफेल दस्तावेजों को मामले में सबूत के रूप में मान्यता देने की अनुमति देने को तैयार है.

सर्वोच्च न्यायालय के दिसंबर के आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका पूर्व केंद्रीय मंत्रियों अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा और कार्यकर्ता वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर की गई थी.

शनिवार को, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया और दावा किया,“पीएमओ द्वारा सरकारी प्रक्रिया की प्रगति पर निगरानी रखना हस्तक्षेप या समानांतर वार्ता के रूप में नहीं माना जा सकता है. तत्कालीन माननीय रक्षा मंत्री ने फाइल पर दर्ज किया था कि ‘ऐसा प्रतीत होता है कि पीएमओ और फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय उन मुद्दों की प्रगति की निगरानी कर रहे हैं, जो बैठक का परिणाम था.'”

यह हलफनामा मंगलवार को शीर्ष अदालत द्वारा केंद्र को दिए आदेश के बाद आया, जिसमे कहा गया था कि केंद्र शीर्ष अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली दलीलों पर जवाब दाखिल करें.

14 दिसंबर, 2018 को, सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू जेट सौदे की अदालत द्वारा निगरानी की जांच की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं था.