हर साल विश्व भर में 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मकसद दिव्यागों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना। हर साल इस दिन दिव्यांगों के विकास, उनके कल्याण के लिए योजनाओं, समाज में उन्हें बराबरी के अवसर मुहैया करने पर गहन विचार विमर्श किया जाता है। आईये जानते है कुछ ऐसे लोगों के बारे में जिन्होंने दिव्यांगता के बावजूद जीती जंग
इरा सिंघल
इरा सिंघल एक कंप्यूटर साइंस इंजीनियर और भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। उन्होंने वर्ष 2014 के लिए यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सर्वोच्च स्कोर किया था। इरा सिंघल सिविल सेवा परीक्षा में टॉप करने वाली पहली दिव्यांग महिला बन थी।
जीजा घोष
जीजा घोष एक मुखर विकलांगता-अधिकार कार्यकर्ता हैं। 2012 में स्पाइसजेट की एक फ्लाइट से उनको उतार दिया गया था. जिसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट चली गयी थी.
कोर्ट ने 2016 में उनके पक्ष में फैसला दिया और घोष द्वारा अनुभव की गई “मानसिक और शारीरिक पीड़ा” को ध्यान में रखते हुए स्पीकेजेट को निर्देश दिया गया था कि वह 2012 में सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित घोष को जबरन उतारने के लिए 10 लाख रुपये का भुगतान करे।
दीपा मलिक
दीपा मलिक एक भारतीय पैरालंपिक एथलीट हैं, जिन्होंने दुनिया भर में हमारे देश का प्रतिनिधित्व किया है। पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला बनीं जब उन्होंने शॉट पुट में 2016 के ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक में रजत पदक जीता।
इसके अलावा, उन्हें 42 वर्ष की आयु में 2012 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें वर्ष 2017 में प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
स्टीफन हॉकिंग
दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से एक स्टीफन हॉकिंग 21 साल की उम्र में एक भयानक बीमारी की चपेट में आ गए थे. जिसके बाद उनके डॉक्टरों ने कह दिया था कि वो दो साल से ज्यादा नहीं जी पाएंगे, लेकिन 50 से ज्यादा साल जीने के दौरान हॉकिंग ने अपने डॉक्टरों की भविष्यवाणी को गलत साबित कर दिया था.
आपको बता दें, वे अपनी शारीरिक अक्षमता के बावजूद विश्व के सबसे बड़े वैज्ञानिक थे. इस बीमारी में मनुष्य का नर्वस सिस्टम धीरे-धीरे खत्म हो जाता है और शरीर के मूवमेंट करने और कम्यूनिकेशन पावर समाप्त हो जाती है. स्टीफन हॉकिंग के दिमाग को छोड़कर उनके शरीर का कोई भी भाग काम नहीं करता था. उन्होंने अपने जीवन में स्पेस-टाइम को लेकर कई शोध किए. उन्होंने कई सिद्धांतों को समझाया है, जिसमें बिंग बैंग थ्योरी और ब्लैक होल थ्योरी आदि शामिल है.
सुधा चंद्रन
सुधा चंद्रन, प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना और टीवी अभिनेत्री सुधा चंद्रन की 17 साल की उम्र में एक दुर्घटना हुई, जब वह मुंबई से चेन्नई जा रही थीं। त्रासदी में उन्होंने अपना बायाँ पैर खो दिया। लेकिन जयपुर से आए प्रोस्थेटिक लेग ने उनकी मदद की और दो साल बाद उन्होंने फिर से डांसिंग की दुनिया में कदम रखा।