कश्मीर से धारा 370 ख़त्म होने के बाद से ही राजनीतिक बयानबाजी तेज है. इसी बीच गृह मंत्री अमित शाह ने चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले पर बोलते हुए कहा कि उन्हें पता था कि राज्यसभा में उनके पास पूर्ण बहुमत नहीं है, लेकिन बिल के विरोध की आशंकाओं के बीच भी उन्होंने राज्यसभा में ही पहले बिल पेश करने का निर्णय लिया.
गृह मंत्री ने यह भी कहा कि बिल पेश करने से पहले उनके मन में आशंका थी कि जब वे इस बिल को राज्यसभा में पेश करेंगे तो राज्यसभा चलेगी कैसे?
उन्होंने कहा,”आंध्र के विभाजन का दृश्य आज भी देश की जनता के सामने है…मुझे मन में थोड़ा आशंका थी कि कहीं ऐसे दृश्य का हिस्सेदार मैं भी तो नहीं बनूंगा…यही भाव के साथ…यही डर के साथ मैं राज्यसभा में खड़ा हुआ…वेंकैया जी की कुशलता का ही परिणाम है कि सभी विपक्ष के मित्रों को सुनते-सुनते इस बिल को डिवीजन तक कहीं भी कोई ऐसा दृश्य खड़ा नहीं हुआ जिसके कारण देश की जनता को ये लगे कि उच्च सदन की गरिमा नीचे आई है.”
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अमित शाह ने आगे कहा,”एक विधायक के रूप में, मेरा दृढ़ विश्वास है कि आर्टिकल 370 को बहुत पहले हटा दिया जाना चाहिए था. गृह मंत्री के रूप में,आर्टिकल 370 को हटाने के परिणामों को लेकर मेरे मन में कोई भ्रम नहीं था. मुझे विश्वास है कि कश्मीर में आतंकवाद खत्म हो जाएगा और यह अब विकास की राह पर आगे बढ़ेगा.”
Amit Shah: As a legislator, I firmly believe Art 370 should've been removed long ago. As a Home Minister, there was no confusion in my mind about the consequences of removing Art 370. I'm confident terrorism in Kashmir will finish & it'll move ahead on the path of development now pic.twitter.com/l9bRR1AGqi
— ANI (@ANI) August 11, 2019
गौरतलब है कि धारा 370 और इसी के एक हिस्से 35 ए के तहत जम्मू अधिकार को अन्य राज्यों की तुलना में विशेष अधिकार मिलते थे. इसी धारा के तहत जम्मू कश्मीर में भारत का संविधान और भारतीय संसद के कानून लागू नहीं होते थे. राज्य से बाहर का कोई भी नागरिक जम्मू कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकता है. अब इन प्रावधानों में बदलाव किए जा रहे हैं.