कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक याचिका, जिसमें मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट की मांग की गयी है, का विरोध करते हुए कहा है कि उनके 16 विधायकों को बेंगलुरु में बंदी बना लिया गया है और इसीलिए उनकी अनुपस्थिति में बहुमत परीक्षण नहीं हो सकता.
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अपनी याचिका में कहा, “फ्लोर टेस्ट तभी हो सकता है जब सभी चुने हुए विधायक विधानसभा में मौजूद हों।” याचिका में आगे कहा कि इसके 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है, और उन निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उपचुनाव के बाद ही एक विश्वास मत रखा जा सकता है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट से आदेश मांगा गया है कि राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के निर्देश को अवैध, असंवैधानिक घोषित किया जाए. कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि वह भाजपा द्वारा “लोकतंत्र के दुरुपयोग” और “लोकतंत्र के तोड़फोड़” के खिलाफ कानून के शासन को बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप करे।
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वही भाजपा ने दावा किया है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस शासित सरकार 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद अल्पमत में आ गई है, और राज्य विधानसभा में विश्वास किया जाये। बता दे कि सोमवार को मध्य प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के बीच विधानसभा को कोरोना वायरस की वजह से 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया. इसके बाद बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुप्रीम कोर्ट चले गए.
उनकी याचिका में कहा गया कि गवर्नर ने कहा था कि16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराया जाए लेकिन विधानसभा अध्यक्ष फ्लोर टेस्ट नहीं करा रहे हैं. शिवराज सिंह चौहान की ओर से सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई कि फ्लोर टेस्ट जल्दी कराया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश सरकार, स्पीकर और अन्य को नोटिस जारी कर भाजपा द्वारा दायर याचिका पर कल तक जवाब माँगा है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की दो जजों की पीठ ने कहा कि वह बुधवार को सुबह 10.30 बजे इस मामले को दोबारा सुनेगी।