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पतंजलि की ‘कोरोनिल’ दवा का सरकार ने मांगा ब्‍योरा, दवा के प्रचार-प्रसार पर लगायी रोक

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आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, हरिद्वार (उत्तराखंड) के द्वारा कोविड-19 के उपचार के लिए विकसित आयुर्वेदिक दवाइयों के बारे में हाल में मीडिया में आए समाचारों का संज्ञान लेते हुए कहा है कि उसे इस दवा के बारे में साइंटफिक स्टडी वगैरह की सूचना नही है.

बता दे कि पतंजलि ने मंगलवार को कोरोनिल और स्वसारी नाम की दो दवाएं लॉन्च कीं और दावा किया कि प्रभावित रोगियों पर क्लीनिकल ट्रायल ने 100 प्रतिशत अनुकूल परिणाम दिखाए हैं।

पतंजलि के संस्थापक रामदेव ने मीडिया को बताया, “कोरोनिल और स्वसारी” नामक दवाएं देश भर के 280 रोगियों पर शोध और परीक्षण के आधार पर विकसित की गई थीं। दवाएँ कोरोना किट में आती हैं जिसकी कीमत 545 रुपये है, जिसे एक हफ्ते के भीतर पूरे भारत में बेचा जाना था।

आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से कोविड की दवा की कम्पोजिशन, रिसर्च स्‍टडी और सैम्पल साइज समेत तमाम जानकारी साझा करने को कहा है. मंत्रालय ने पतंजलि ग्रुप से कहा है कि जब तक इस दावे के परीक्षण होने तक इस दवा की प्रचार-प्रसार न करें।

“उपरोक्त समाचार के तत्थों और दावों के सत्यापन के प्रति मंत्रालय को सूचित किए जाने के क्रम में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से उन दवाओं के नाम और संयोजन; स्थानों/ अस्पताल जहां कोविड-19 के लिए शोध कराया गया; प्रोटोकॉल, नमूना आकार, संस्थागत आचार समिति की मंजूरी, सीटीआरआई पंजीकरण और शोध के नतीजे के विवरण उपलब्ध कराने तथा इस मसले की विधिवत जांच पूरी होने तक ऐसे दावों के विज्ञापन/प्रचार को बंद करने के लिए कहा गया है। मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार के संबंधित राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण से भी लाइसेंस की प्रतियां और आयुर्वेदिक दवाओं की उत्पाद स्वीकृति का विवरण उपलब्ध कराने के लिए कहा है, जिसके कोविड-19 के उपचार में कारगर होने का दावा किया जा रहा है,” मंत्रालय ने एक बयान में कहा.

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