भारत की आपत्ति को दरकिनार करते हुए नेपाल की संसद के उच्च सदन नैशनल असेंबली ने देश के विवादित राजनीतिक नक्शे को लेकर गुरुवार को पेश किए गए संविधान संशोधन विधेयक को आखिरकार अपनी मंजूरी दे दी है ।
इस दौरान नैशनल असेंबली में सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के संसदीय दल के नेता दीनानाथ शर्मा ने कहा कि भारत ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा पर अवैध रूप से कब्जा किया है और उसे नेपाली जमीन को लौटा देना चाहिए।
नेपाल के नए नक्शे के समर्थन में नैशनल असेंबली में 57 वोट पड़े और विरोध में किसी ने वोट नहीं डाला। इस तरह से यह विधेयक सर्वसम्मति से नैशनल असेंबली से पारित हो गया। नैशनल असेंबली में वोटिंग के दौरान संसद में विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी- नेपाल ने संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन किया।
ये भी पढ़े : पुरी में रथ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ माफ नहीं करेंगे
आपको बता दे की कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया थुम्भांगफे ने देश के नक्शे में बदलाव के लिए संसद में संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए इसे पेश किया था। इस नए नक्शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के कुल 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को अपना बताया है। भारत ने नेपाल के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए नक़्शे को मंजूर करने से इनकार किया है और कहा है की यह सिर्फ राजनीतिक हथियार है जिसका कोई आधार नहीं है।
नेशनल असेंबली से विधेयक के पारित होने के बाद अब इस विधेयक को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे संविधान में शामिल किया जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद नए नक्शे का सभी आधिकारिक दस्तावेजों में इस्तेमाल होगा।
कब आई नेपाल-भारत के रिश्तों में खटास ?
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 8 मई को उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख पास को जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनीतिक सड़क का उद्घाटन करने के बाद से ही दोनों देशों के बीच संबंध तनाव में आ गए थे, जिसके बाद नेपाल का ये विवादित नक्शा नेपाल की निचली सदन में पास होने के बाद आज उच्च सदन में भी पास हो गया। आपको बता दे की नेपाल ने नए नक़्शे में भारत के तीन इलाके लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को अपना हिस्सा बताया है.