आज भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी है जिसके शुभ अवसर पर देशभर में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है। हालाकिं कोरोना महामारी की वजह से इस बार न ही गणेशा के पंडाल लगे और ना ही गणेशोत्सव पर उतनी धूम है मगर इसके बावजूद भी लोगों के उत्साह में बिलकुल कमी नहीं है। आज पूरे देश में लोग सुबह से ही गणपति की मूर्तियों को श्रद्धापूर्वक घरों में स्थापित कर रहे है।
हमारे देश में गणपति को घर लाकर विराजमान करने से लेकर उनके विसर्जन को भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। 10 दिन चलने वाले इस त्योहार पर गणपति की स्थापना की जाती है। गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतर्दर्शी तक यानी दस दिनों तक चलता है। इसके बाद चतुर्दशी को इनका विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहर्त पूर्वाह्न 11 बजकर सात मिनट से दोपहर एक बजकर 42 मिनट तक
दूसरा शाम चार बजकर 23 मिनट से सात बजकर 22 मिनट तक
रात में नौ बजकर 12 मिनट से 11 बजकर 23 मिनट तक है।
गणेश मंत्र :
ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें।
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।
गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश
ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति। मेरे दूर करो क्लेश।।
गणेश चतुर्थी का महत्व –
भगवान गजानन बहुत दयालु हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को अपने घर या मोहल्ले में विराजमान कर उनकी उपासना करता है, भगवान गणेश उनके जीवन से सभी दुखों और कष्टों को हर लेते हैं। गणेश जी को विघ्नहर्ता माना गया है। वह देवताओं में प्रथम पूजनीय हैं। कहते हैं जो भी व्यक्ति भगवान गणेश का पूजन करता है उसके जीवन में शुभता का वास होने लगता है।
ऐसे व्यक्ति के घर परिवार में कभी दरिद्रता नहीं आती है। गणेश जी की कृपा से उनकी आराधना करने वाले घरों में सदा मांगलिकता रहती है। किसी भी प्रकार का दुख, परेशानी, असफलता और कठिन परिस्थितियां ऐसे परिवार में नहीं आती हैं, जो गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन करते हैं।
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गणेशजी की आरती –
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।