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कानपुर पुलिस ने गैंगस्टर विकास दुबे की बहू, पड़ोसी और नौकरानी को किया गिरफ्तार, एनकाउंटर में इस तरीके से दिया था अपराधी का साथ

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उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिसवालों को मौत के घाट उतारने वाला गैंगस्टर ​विकास दुबे आज उत्तरप्रदेश पुलिस के लिए सरदर्दी बना है। एनकाउंटर के 3 दिन बाद भी विकास दुबे की तलाश जारी है। इस बीच मामले में अहम खुलासा हुआ है। बदमाश विकास दुबे के संपर्क में चौबेपुर पुलिस थाने के दो दारोगा और एक सिपाही थे। इनकी कॉल डिटेल से खुलासा हुआ है। इसके बाद दारोगा कुंवर पाल और कृष्ण कुमार शर्मा समेत सिपाही राजीव को एसएसपी ने सस्पेंड कर दिया है और मामले की जांच शुरू हो गई है। वहीं कानपुर पुलिस लाइन से 10 पुलिसकर्मियों को चौबेपुर थाने में तैनाती दी गई है। दरअसल विकास को पुलिस की मुखबिरी करने पर थाने के 10 पुलिसकर्मियों से एसटीएफ पूछताछ कर रही है।

50 घंटे में 5 गुना बड़ा विकास दुबे पर इनाम
सबसे पहले विकास दुबे पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था, जिसे एक लाख रुपया किया गया था. आईजी ने इनाम को ढाई लाख रुपये करने के लिए डीजीपी को खत लिखा था. डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने आईजी के पत्र पर सहमति जताते हुए विकास दुबे पर ढाई लाख रुपये का ईनाम घोषित किया है।

बेरहमी की सारी हदें की पार
पुलिस सूत्रों ने बताया कि मुठभेड़ के वक्त पोजिशन लेने के लिए सीओ देवेंद्र मिश्रा दीवार फांदकर एक घर के आंगन में कूद गए थे। यह घर विकास के मामा का था। इस दौरान पीछा करते हुए बदमाश घर में घुसे और सीओ के सिर पर कई गोलियां दाग दीं। उनके शव को घसीटते हुए बाहर लाए। यहां कुल्हाड़ी से उनके पैर को काट कर अलग कर दिया। बदमाशों ने पुलिसवालों की हत्या करने के बाद 5 शवों को एक के ऊपर रखा था।

अपराधी विकास दुबे को पकड़ने के लिए प्रदेश बॉर्डर सील, चेकिंग सख्त

विकास दुबे कही प्रदेश से बहार नहीं निकल जाये इसके लिए पुलिस पूरी तरह चौकस है। बॉर्डर्स को सील कर दिया गया है और सभी जगह चेकपोस्ट पे सख्ती से चेकिंग की जा रही है। इस बीच, सोमवार को विकास दुबे की बिजनौर में लोकेशन मिली। बताया गया कि वह अपने 6 साथियों के साथ स्कॉर्पियो कार में सवार था। उसके साथ एक और स्कॉर्पियो थी। इसके बाद जिले भर में चेकिंग अभियान चलाया गया, लेकिन कहीं गाड़ी नहीं मिली। पुलिस को शक है कि विकास जिले में ही कहीं छिपा है।

इधर कानपुर पुलिस ने गैंगस्टर विकास दुबे की बहू, पड़ोसी और नौकरानी को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि एनकाउंटर वाली रात इन लोगों ने भी विकास दुबे का साथ दिया था। तीनों की पहचान क्रमशः शमा, सुरेश वर्मा और रेखा के रूप में की गई है। पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान ये तीनों विकास दुबे को पुलिसकर्मियों की लोकेशन के बारे में सारी जानकारी दे रहे थे। पुलिस ने बताया कि यहां तक कि गोलीबारी के दौरान विकास दुबे की बहू शमा ने अपने घर का दरवाजा तक नहीं खोला जब एक पुलिसवाला जान बचाने के लिए ठिकाना मांग रहा था

आपको बता दें की विकास के पड़ोसी विकास दुबे को फ़ोन पर पुलिस की लोकेशन की सारी जानकारी दे रहे थे, ये तक बता रहे थे की पुलिस कब कहा क्या कर रही है और साथ ही चिल्ला चिल्ला कर के कह रहे थे की कोई भी पुलिस वाला बच के ना पाए, वही विकास की बहु से जब पुलिस ने अपने आप को बचाने के लिए मदद मांगी तो बहू ने दरवाज़ा तक नहीं खोला।

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यह है मामला
चौबेपुर इलाके के राहुल तिवारी के ससुर लल्लन शुक्ला की जमीन पर विकास ने जबरन कब्जा कर लिया था। राहुल ने कोर्ट में विकास के खिलाफ केस दर्ज कराया। बीती 1 जुलाई को विकास ने साथियों के साथ मिलकर राहुल को रास्ते से उठा लिया और बंधक बनाकर पीटा। जान से मारने की धमकी भी दी। राहुल ने इसकी थाने में शिकायत की।

पूछताछ के लिए थानाध्यक्ष आरोपी विकास के घर पहुंचे। यहां विकास ने थाना प्रभारी के साथ हाथापाई कर दी। इसके बाद थानाध्यक्ष ने राहुल की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया और खुद के साथ हुई बदसलूकी की चर्चा भी किसी से नहीं की। बाद में अधिकारियों के आदेश पर चौबेपुर थाने में विकास दुबे पर केस दर्ज हो गया। गुरुवार देर रात पुलिस दबिश देने के लिए पहुंची थी। यहां सीओ, तीन एसआई, चार कांस्टेबल शहीद हो गए थे। इसके अलावा, दो ग्रामीण, एक होमगार्ड और 4 पुलिसवाले घायल हो गए थे।

आइये जानते है विकास दुबे का अपराधिक इतिहास
कुख्यात अपराधियों में शुमार विकास दुबे का अपराध सफर 1990 से शुरू हुआ था। आपको बता दें कि, अपराधी विकास बिकरु गांव निवासी है। बताया जा रहा है कि, विकास ने पिता के अपमान का बदला लेने के लिए नवादा गांव के किसानों को वर्ष 1990 में पीटा था। ओर यही से विकास दुबे के खिलाफ शिवली थाने में पहला मामला दर्ज हुआ था।

2000 में विकास ने शिवली इलाके के ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या कर दी थी, जिसमें उसे उम्रकैद की सजा भी हुई थी

यह वही बदमाश है जिसने 19 साल पहले 2001 में थाने में घुसकर राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। उसका इतना खौफ था कि उसके खिलाफ कोई गवाह सामने नहीं आया। इसके कारण वह केस से बरी हो गया।

इसके बाद उसने राजनीति में एंट्री ली। नगर पंचायत का चुनाव भी जीता था।

हिस्ट्रीशीटर विकास कानपुर देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र के विकरू गांव का रहने वाला है। वह कानपुर नगर से लेकर कानपुर देहात तक लूट, डकैती, मर्डर जैसे अपराधों को अंजाम देता रहा है।

विकास ने अपने अपराधों के दम पर पंचायत और निकाय चुनावों में कई नेताओं के लिए काम किया और उसके संबंध प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियों से हो गए।

2002 में जब प्रदेश में बसपा की सरकार थी तो इसका सिक्का बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनयां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में चलता था।

2018 में विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला किया था। तब अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों को नामजद किया था।

जानकारी के अनुसार, इस समय विकास दुबे के खिलाफ 60 मामले यूपी के कई जिलों में चल रहे हैं। हत्या और हत्या की कोशिश के मामले पर पुलिस को इसकी तलाश थी।

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